रोते-रोते यादों में खो जाते हैं आपदा पीड़ित, टूटे घरों को देख शिविरों में सोते हैं

चमोली । चमोली जिले के नंदानगर क्षेत्र में आई भीषण आपदा ने गांवों की रौनक छीन ली। शुक्रवार को कुंतरी लगा फाली से मलबे में दबे पांच शव और निकाले गए। अब तक आपदा में लापता हुए 10 लोगों में से एक को सुरक्षित बचा लिया गया है, जबकि सात शव बरामद हो चुके हैं। धुर्मा गांव के दो लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश जारी है।
विनसर पहाड़ी से मिट्टी और मलबे का ऐसा सैलाब उतरा कि देखते-देखते हंसते-खेलते गांव मलबे के ढेर में बदल गए। आठ किलोमीटर के दायरे में तबाही के निशान बिखरे पड़े हैं। अपने उजड़े घर और खेत-खलिहान देखकर प्रभावित रो पड़ते हैं, दिन में टूटे घरों को देखने आते हैं और रात को राहत शिविरों में शरण लेते हैं। पूरे इलाके की सड़कें, पेयजल लाइनें और बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है।
सेरा गांव: मोक्ष गदेरे ने उजाड़ा आशियाना
मोक्ष गदेरे के किनारे बसे सेरा गांव में आठ मकान बह गए। कुछ घरों के आंगन से अब गदेरे का पानी बह रहा है। ग्रामीण महिलाओं ने मिलकर दुख साझा किया और ग्राम प्रधान रेखा देवी ने बताया कि जब गदेरे का पानी उफान पर आया तो लोग बच्चों को लेकर बदहवासी में भागे। घरों का सामान, दस्तावेज और पैसे सब मलबे में दब गए। प्रभावित परिवार अब आगे के जीवन को लेकर अनिश्चितता में हैं। शुक्रवार को आपदा नोडल अधिकारी जेपी तिवारी और उरेड़ा के परियोजना अधिकारी गांव पहुंचे और नुकसान का आकलन कर प्रभावितों के लिए भोजन व आवास की व्यवस्था की।
कुंतरी लगा फाली: कुंवर सिंह का परिवार तबाह
कुंतरी लगा फाली गांव भी आपदा का शिकार बना। यहां 15 मकान मलबे में दब गए। बादल फटने से नाले में आए सैलाब ने पूरे गांव को बहा दिया। गुरुवार को कुंवर सिंह को जीवित निकाला गया, लेकिन उनकी पत्नी और दो बेटे मलबे में दब गए। शुक्रवार को एनडीआरएफ की टीम ने लिंटर तोड़कर उनकी पत्नी और दोनों बेटों के शव निकाले। यह मंजर देखकर महिलाएं फूट-फूटकर रो पड़ीं। लोग बच्चों को राम-लखन की जोड़ी कहकर याद कर रहे थे और सवाल कर रहे थे कि इन मासूमों ने विधाता का क्या बिगाड़ा था।
इस आपदा ने न केवल घरों और खेतों को तबाह किया, बल्कि पूरे गांव की उम्मीदें और खुशियां भी मलबे में दफन कर दीं।