उत्तराखण्ड समाचार

बची जान…पर अब चाहिए रोटी, कपड़ा और मकान, चेपड़ों में शुरू हुई सामुदायिक रसोई

थराली (चमोली)। चमोली आपदा में जिनकी जान बच गई, उनके सामने अब रोटी, कपड़ा और मकान का संकट खड़ा है। थराली तहसील के 15 किमी क्षेत्र में आई आपदा में कई मकान और दुकानें मलबे के ढेर में तब्दील हो गईं।

चेपड़ों कस्बे में सोमवार तक प्रशासन ने 96 प्रभावित परिवारों की सूची तैयार की, जिनमें कई के मकान और दुकानें दोनों क्षतिग्रस्त हैं। लोअर थराली में भी दर्जनभर से अधिक दुकानें ढह गईं। व्यापारी रोज़ी-रोटी, बच्चों की पढ़ाई और बुजुर्गों की दवाइयों के खर्च को लेकर चिंता में हैं।

22 अगस्त की रात को आए सैलाब ने चेपड़ों बाजार को मलबे में बदल दिया। कई दुकानदारों का लाखों रुपये का सामान नष्ट हो गया। किराये पर दुकान चलाने वाली महिलाएं भी अब रोज़गार के संकट में हैं।

चेपड़ों के आपदा प्रभावितों के लिए राजकीय प्राथमिक स्कूल में राहत शिविर बनाया गया है। यहां सोमवार को प्रभावितों की संख्या 55 पहुंची। प्रशासन ने सामुदायिक रसोई की व्यवस्था की है, जहां ग्रामीण स्वयं भोजन तैयार कर रहे हैं।

कोटडीप थराली में दर्जनभर मकानों के दस्तावेज और सामान भी मलबे में दब गए। कई परिवारों के आधार कार्ड, शैक्षणिक प्रमाण पत्र और जेवर भी बह गए।

थराली में जलसंस्थान का अवर अभियंता कार्यालय भी मलबे में तब्दील हो गया, जिससे सरकारी दस्तावेज पूरी तरह नष्ट हो गए।

 

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