उत्तराखण्ड समाचार

झारखंड में अब भी जारी है प्रतिबंधित ‘भालू नाच’ का खेल, सोशल मीडिया निगरानी में हुआ खुलासा

बिहार। भालू के नाच के खेल पर 2009 से लगे प्रतिबंध के बावजूद, यह क्रूर प्रथा बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश के ग्रामीण इलाकों में अब भी चोरी-छिपे जारी है। इसका खुलासा वाइल्ड लाइफ ट्रस्ट ऑफ इंडिया (WTI) द्वारा भारतीय वन्यजीव संस्थान में प्रस्तुत एक रिपोर्ट से हुआ है।

डिजिटल निगरानी में मिले 82 वीडियो

WTI की डिजिटल मॉनिटरिंग टीम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर 82 ऐसे वीडियो चिन्हित किए, जिनमें भालुओं को नचाते हुए देखा गया। इन वीडियो की वेशभूषा और पृष्ठभूमि के आधार पर स्थानों का पता लगाया गया। इसके बाद स्थानीय नेटवर्क के माध्यम से सत्यापन कर कार्रवाई की गई।

2022 से 2024 तक नौ भालुओं का बचाव, 11 आरोपी गिरफ्तार

संस्था के अनुसार, 2022 से 2024 की शुरुआत तक चलाए गए अभियानों में नौ स्लॉथ भालुओं (रेछ जैसे भालू) को मुक्त कराया गया। इस दौरान 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो इन भालुओं से नाच करवाने में संलिप्त थे।

अभी भी 79 भालू रेस्क्यू सेंटर में

WTI की साझेदार संस्था वाइल्डलाइफ SOS द्वारा आगरा में संचालित रेस्क्यू सेंटर में वर्तमान में 79 रेस्क्यू किए गए भालू रखे गए हैं। 2002 में पहला भालू यहां लाया गया था। भालुओं को चिकित्सा, पोषण और संरक्षण के साथ प्राकृतिक जीवनशैली के लिए तैयार किया जा रहा है।

2009 में बंद हुआ था चलन, अब गांवों में छिपकर हो रहा

वन विभाग के अनुसार, वर्ष 2009 में इस प्रथा को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया था। लेकिन अब यह खेल शहरों में नहीं, बल्कि दूर-दराज के गांवों में चोरी-छिपे किया जा रहा है।

 

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