रिजॉर्ट बन रहा था तो नींद में थे, आपदा आई तो खुल गई प्रशासन की आंख

देहरादून | मालदेवता क्षेत्र के खेरीमानसिंह में सौंग नदी की धारा मोड़कर अवैध रूप से रिजॉर्ट का निर्माण किया जा रहा था। यह काम लंबे समय से दिन-दहाड़े चल रहा था, लेकिन किसी भी जिम्मेदार विभाग की नजर इस पर नहीं गई। बीते सोमवार रात को आई भारी बारिश और बाढ़ जैसी स्थिति ने जब 150 मीटर सड़क बहा दी, तब जाकर प्रशासन की आंखें खुलीं। जिलाधिकारी सविन बंसल ने अब पूरे मामले की जांच कर जिम्मेदार अधिकारियों और रिजॉर्ट संचालक पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
सड़क बहने का कारण बना रिजॉर्ट
लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) की रिपोर्ट में साफ हुआ है कि सड़क बहने की मुख्य वजह यही रिजॉर्ट रहा। संचालक ने रिजॉर्ट तक पहुंच बनाने के लिए नदी की धारा को ही मोड़ दिया था। परिणामस्वरूप तेज बारिश के दौरान जब सौंग नदी उफान पर आई तो उसका बहाव सीधे सड़क से टकराया और 150 मीटर लंबी सड़क पानी में समा गई। इस नुकसान का आकलन विभाग ने करीब छह करोड़ रुपये किया है।
प्रशासन अब सक्रिय
जिलाधिकारी सविन बंसल आपदा के बाद से लगातार प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे हैं। राहत-बचाव कार्यों की समीक्षा के साथ ही सरकारी संपत्तियों के पुनर्निर्माण की योजना भी तेज की जा रही है। लेकिन रिजॉर्ट निर्माण को लेकर विभागों की भूमिका पर सवाल उठना स्वाभाविक है। रिजॉर्ट रातों-रात तो बना नहीं। सवाल है कि जब इसकी अनुमति दी गई तो क्या निरीक्षण हुआ था? अगर हुआ तो कार्रवाई क्यों नहीं हुई, और अगर नहीं हुआ तो यह गंभीर लापरवाही क्यों बरती गई?
विभागों की सुस्ती पर उठे सवाल
इस मामले ने विभागीय सुस्ती और भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा किया है। स्पष्ट है कि रिजॉर्ट संचालक को बिना प्रभावशाली संपर्क या शिथिल प्रशासनिक रवैये के नदी की धारा मोड़ने की हिम्मत नहीं हो सकती थी। आपदा ने इस अनदेखी की पोल खोल दी है। अब न केवल स्थानीय प्रशासन, बल्कि उच्च स्तर पर सरकार के प्रतिनिधि भी जांच के घेरे में आ सकते हैं।
स्थानीय लोगों में आक्रोश
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि रिजॉर्ट निर्माण के समय ही उन्होंने कई बार आपत्ति दर्ज कराई थी, लेकिन किसी ने उनकी नहीं सुनी। अब आपदा ने उनकी शंकाओं को सही साबित कर दिया है। ग्रामीण प्रशासन पर मिलीभगत का आरोप भी लगा रहे हैं।
आगे क्या?
डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं और कहा है कि दोषियों पर सख्त कार्रवाई होगी। फिलहाल प्रभावित सड़क और अन्य सरकारी संपत्तियों के पुनर्निर्माण की योजना बनाई जा रही है। राहत-बचाव कार्य जारी हैं, मगर सवाल यह है कि क्या हर बार आपदा के बाद ही प्रशासन की नींद खुलेगी?