NFHS रिपोर्ट: उत्तराखंड में बच्चों में ठिगनापन घटा, पर चमोली-पौड़ी में बढ़ोतरी चिंता का विषय

ऋषिकेश । राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS) के ताजा आंकड़े बताते हैं कि उत्तराखंड में पांच साल से कम उम्र के बच्चों में ठिगनापन (Stunting) की समस्या पिछले दो दशकों में तेजी से घटी है। वर्ष 2005 में जहां प्रदेश के 44 प्रतिशत बच्चे ठिगनापन के शिकार थे, वहीं 2021 में यह आंकड़ा घटकर 27 प्रतिशत पर आ गया। हालांकि राज्य स्तर पर यह सुधार राहत देने वाला है, लेकिन चमोली और पौड़ी जैसे जिलों की स्थिति चिंता बढ़ाने वाली है।
पिछले पांच वर्षों में जब अधिकांश जिलों में ठिगनापन की दर में गिरावट आई, वहीं चमोली में 0.4 प्रतिशत और पौड़ी में 7.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एम्स ऋषिकेश की प्रोफेसर वर्तिका सक्सेना का कहना है कि इन दोनों जिलों में बढ़ती समस्या पर शोध की जरूरत है और इसके लिए राज्य सरकार का सहयोग आवश्यक है।
राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखें तो सिक्किम और मध्य प्रदेश 7.7 प्रतिशत की दर से ठिगनापन घटाने में सबसे आगे हैं, जबकि राजस्थान 7.2 प्रतिशत की दर के साथ दूसरे स्थान पर है। विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तराखंड में विभिन्न योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन से समग्र स्थिति में सुधार हुआ है। कुपोषित बच्चों को गोद लेने की योजना, आंचल अमृत योजना, बाल पलाश योजना, महालक्ष्मी किट योजना और मुख्यमंत्री दाल पोषित योजना जैसी योजनाओं ने सकारात्मक परिणाम दिए हैं।