उत्तराखंड में आपदा ने छीनी त्योहारों की खुशियां

देहरादून। बीते दिनों हुई तीव्र मानसून की बारिश ने उत्तराखंड के ग्रामीण इलाकों में भारी तबाही मचा दी है। सहस्रधारा और मजाड़ा गांव के लोग अब अपने खोए हुए सुख-दुख को समेटने की कोशिश में हैं, लेकिन त्योहारों की खुशी इस साल उनके लिए दूर की कहानी बन गई है।
ग्रामीणों ने बताया कि मानसून से पहले नवरात्र और दीपावली की तैयारी के साथ खरीदी-बिक्री की योजना बनाई गई थी, लेकिन अचानक आई आपदा ने सब कुछ बहा कर ले लिया। उनका कहना है कि अब उनके पास त्योहार मनाने का समय या संसाधन नहीं बचे हैं।
अमर उजाला की टीम ने ढाई बजे दोपहर के करीब मजाड़ा गांव का दौरा किया। रास्ते में राजकीय प्राथमिक विद्यालय चौका चूंगा चामासारी में बच्चों की पाठशाला चल रही थी और कुछ बच्चे खेल रहे थे। लेकिन आगे चलते ही वह रास्ता नजर आया, जिसे आपदा ने अपने साथ बहा लिया था। वहां जेसीबी मशीन से मलबा हटाने का काम जारी था।
कुछ दिन पहले ही साफ किए गए रास्तों से ग्रामीण अपने गांव पहुंच रहे थे। आपदा के 15 दिन बाद हालात में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन उनके चेहरे पर पहले जैसी खुशी नहीं दिख रही। ग्रामीण अपने पशुओं के लिए चारा-पत्ती और घरों में दबा सामान निकालने के लिए ही अपने घर जा रहे हैं।
ग्रामीण शाम से पहले अपने घरों और परिजनों के घर पहुंच जाते हैं, ताकि अंधेरे में कोई परेशानी न हो। इस आपदा ने इस साल उनके त्योहारों की खुशियों को पूरी तरह बहा दिया है।