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गरुड़ में पेयजल संकट: 15 हजार से अधिक आबादी पीने को मजबूर गंदा पानी

गरुड़ (बागेश्वर)। बरसात ने जहां मौसम को राहत दी, वहीं गरुड़ तहसील और आसपास के गांवों में वृहद पेयजल योजना लोगों के लिए सिरदर्द बन गई है। बारिश के चलते नदियों का पानी मटमैला होने से नलों से गंदा पानी सप्लाई हो रहा है, जिससे करीब 15 हजार की आबादी पेयजल संकट से जूझ रही है।

करीब 13 करोड़ की लागत से जल संस्थान और जल निगम द्वारा संचालित योजनाओं के अंतर्गत नगर पंचायत गरुड़ के सभी सात वार्ड, पाये, सिल्ली, सिटौली, मटेना जैसे गांवों तक पानी की आपूर्ति होती है। मगर पिछले कई दिनों से नलों से आ रहा गंदा और दुर्गंधयुक्त पानी न तो पीने लायक है और न ही घरेलू उपयोग के योग्य।

नगरवासियों में आक्रोश है और वे प्राकृतिक स्रोतों और हैंडपंपों से पानी लाने को मजबूर हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने जल संस्थान से शीघ्र स्वच्छ पेयजल की मांग की है।

नगर पंचायत अध्यक्ष भावना वर्मा सहित हेम वर्मा, रमेश चंद्र, पुष्पा देवी आदि लोगों ने चेताया कि यदि जल्द समाधान नहीं हुआ तो जनआंदोलन खड़ा किया जाएगा।

जल संस्थान के एई अशोक कुमार भट्ट का कहना है कि अधिकांश योजनाएं नदियों पर आधारित हैं और बारिश में पानी गंदा हो जाता है। उन्होंने यह भी स्वीकारा कि फिल्ट्रेशन में कुछ तकनीकी समस्याएं हो सकती हैं, जिन्हें जल्द दूर कर स्वच्छ जलापूर्ति बहाल की जाएगी।

फिलहाल गरुड़ में जल नहीं, चिंता बह रही है – और समाधान की आस में आंखें।

 

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