उत्तराखण्ड समाचार

सतगढ़ गांव से उठा मां जयंती का डोला, हुई मेलों की शुरुआत

पिथौरागढ़। सीमांत के लोगों की आस्था का प्रतीक मां जयंती का डोला सतगढ़ गांव से परंपरागत तरीके से उठा। इस दौरान आस्था की भीड़ रही। डोला उठने के साथ ही सीमांत जिले में मेलों की शुरुआत हो गई है। श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाते हुए तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर मां के डोले को ध्वज मंदिर पहुंचाया। जयकारों से पूरा क्षेत्र गूंज उठा। यहां डोले का विसर्जन कर श्रद्धालुओं ने मां जयंती से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मांगा।

हरतालिका तृतीया को ग्रामीणों और श्रद्धालुओं ने फूल और झूमरों से सजे मां जयंती के डोले की विधिविधान के साथ पूजा-अर्चना की। इस दौरान महिलाओं ने मांगलिक गीतों के साथ ही झोड़ा-चांचरी का गायन किया। इसके बाद ढोल, दमाऊ, शंख, भकोरों की ध्वनि के साथ मां जयंती का डोला उठाया गया। सतगढ़, पलेटा, खूना, पनखोली, कनालीछीना के साथ ही जिला मुख्यालय से पहुंचे श्रद्धालु इस धार्मिक आयोजन में शामिल हुए। श्रद्धालुओं ने मां जयंती के जयकारे लगाते हुए डोले को आस्था के साथ तीन किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई पार कर ध्वज मंदिर पहुंचाया। मंदिर की परिक्रमा के बाद डोले का विसर्जन हुआ।

इस तिथि को ध्वज में आयोजित मेले के संपन्न होने के बाद थलकेदार, मोस्टमानू, लछैर, जगन्नाथ, घाड़ी, और छड़नदेव के मेले का आयोजन होता है। ऐसे में सीमांत के लोगों को मां जयंती का डोला उठने का बेसब्री से इंतजार रहता है।

पुजारी नंदा बल्लभ कापड़ी ने बताया कि पूर्व में हरतालिका तृतीया को ध्वज मंदिर में विशाल मेला लगता था। यह मेला लोहे के बर्तनों की खरीदारी के लिए प्रसिद्ध था। लोहाघाट सहित अन्य स्थानों से व्यापारी पारंपरिक तरीके से तैयार की गई लोहे की कढ़ाई के साथ ही अन्य बर्तन लेकर यहां पहुंचते थे। आधुनिकता के इस दौर में इस मेले ने अपनी पहचान खो दी है। हालांकि डोले में शामिल होकर मां जयंती का आशीर्वाद लेने वाले श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ी है।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button